मन्त्र [L=57466] [p= 5-0537] (von मन्) m. gaṇa वृषादि zu P.6,1,203. SIDDH. K. 250,b , ult. neutr. MBH. 3, 10409 ; dagegen ist 13, 7082 mit der ed. Bomb. इमं (st. इदं) मन्त्रं zu lesen und KÂM. NÎTIS. 5, 43 mit der v.l. मर्माणि st. मन्त्राणि. Am Ende eines adj. comp. f. आ.
— 1) Spruch, Gedicht, Lied als Erzeugniss des Geistes: कीरेश्चिन्मन्त्रं मनसा वनोषि तम् ṚV. 1, 31, 13. मन्त्रं वदत्युक्थ्यम् 40, 5. हृदा यत्तष्टान्मन्त्राँ अशंसन् 67, 4. 74, 1. 152, 2. 2, 35, 2. 6, 50, 14. 7, 7, 6. 32, 13. 10, 14, 4. 50, 4. 6. 88, 14. 115, 7. AV. 15, 2, 1. 19, 54, 3. TS. 1, 5, 4, 1. 5, 1.
— 2) übliche Bez. der vedischen Lieder und Sprüche SÂJ. ṚV. Comm. I, S. 22. = वेदभेद, वेदविशेष, वेदांश AK. 3, 4, 25, 169. H. an. 2, 445. MED. r. 75. = ऋगादिगृह्योक्ति VAIǴ. beim Schol. zu KIR. 4, 32. AIT. BR. 5, 14. 23. 6, 1. ÇAT. BR. 1, 4, 4, 6. 11, 2, 1, 6. ÇÂÑKH. BR. 26, 3. 5. NIR. 7, 1. °दृष्टि 3. 4. आम्नायः पुनर्मन्त्राश्च ब्राह्मणानि च KAUÇ. 1. मन्त्रोक्त 8. 19. 23. °वर्ण KÂTJ. ÇR. 1, 4, 12. 6, 3, 23. °वचन 1, 7, 9. मन्त्रेण, तूष्णीम् ÂÇV. GṚHJ. 1, 3, 3.-, 1. मन्त्रविदो मन्त्रां जपेयुः 2, 3, 10. मन्त्रः श्लोकश्च ṚV. PRÂT. 16, 5. M. 2, 16. 3, 137. 5, 36. 86. 8, 226. 9, 18. 65. 10, 127. 11, 226. 256. MBH. 3, 11101. BHAG. 9, 16. °कोविद R. 1, 60, 9. SUÇR. 1, 111, 11. VIKR. 87, 10. BRAHMA-P. in LA. (II) 52, 19. मन्त्रे P. 2, 4, 80. 3, 2, 71. 3, 96. 6, 3, 131. मन्त्रेषु 4, 141. होममन्त्रेषु M. 2, 105. बलिमन्त्रैः JÂǴŃ. 1, 285. वेद° PAŃḰAT. 189, 24. मन्त्रवेदशास्त्रपाठेषु LALIT. ed. Calc. 43, 20. 313, 6. गीर्भिः परममन्त्राभिस्तुष्टुवुश्च गदाधरम् HARIV. 2500.
— 3) magische Besprechung, Zauberspruch; = देवादिसाधन H. an. MED. = तन्त्र HALÂJ. 5, 84. मन्त्रो गुरुः पुनरस्तु सो अस्मै ṚV. 1, 147, 4. मन्त्रैर्विषापहैः M. 7,-7. KATHÂS. 49, 42. रसमन्त्रविशारद SUÇR. 1, 122, 12. 158, 19. ÂÇV. ÇR. 4, 13. RAGH. 1, 61. अस्त्रं प्रयोगसंहारविभक्तमन्त्रम् 5, 57. अस्त्र° 59. °प्रयुक्त (अस्त्र) 12, 99. शिक्षिततन्मन्त्रा KATHÂS. 37, 120. WEBER, RÂMAT. UP. 282 u.s.w. °ग्रहणमात्रेण PAŃḰAR. 1, 2, 17. 20. 9, 22. मन्त्रौषधरुद्धवीर्य RAGH. 2, 32. KATHÂS. 9, 77. मणिमन्त्रौषधैः LA. (II) 91, 6. Spr. 584.-19. षडक्षर 3063. WEBER, RÂMAT. UP. 289. अमन्त्रतन्त्रं वशीकरणम् Spr. 3196. VET. in LA. (II) 14,14. ÇUK. ebend. 33,13. Verz. d. Oxf. H. 93,a,40. 94,a,1.-. 98,b,14. 100,a,35. 101,a,30. 105,a,7. BURN. Intr. 121. fg. 540. Lot. de la b. l. 238. fgg. वशीकरण° P. 4, 4, 96, Sch. सा देवकलशेनाथ दत्तमन्त्रा RÂǴA-TAR. 6, 330.
— 4) Verabredung, Berathung, Entschliessung; Rath, geheimer Plan; = गुप्तिवाद, गुप्तवाद, गुह्यवाद, रहस्यालोचन AK. H. 741. H. an. MED. स्वैर्मन्त्रैरनृतुपाः nach eigenem Rath auch ausser der Zeit (kommt er) zum Trinken ṚV. 3, 53, 8. न नौ मन्त्रा अनुदितास एते 10, 95, 1. समानो मन्त्रः समितिः समानी 191, 3. शक्तयस्तिस्रः प्रभावोत्साहमन्त्रजाः AK. 2, 8, 1, 19. H. 735. (ब्राह्मणेन) मन्त्रयेत्परमं मन्त्रं राजा षाड्गुण्यसंयुतम् M. 7, 58. MBH. 1, 5569. 2, 163. 5, 7461. R. 5, 81, 18. Spr. 4853. पापान्मन्त्रान्कुरवो मन्त्रयन्ति MBH. 2, 2396. मन्त्रैर्मन्त्रयन्तः BHÂG. P. 8, 5, 17. आत्मनाद्वितीयेन मन्त्रः कार्यो महीभृता Spr. 3062. मन्त्रं सुरक्षितं कुर्यात् JÂǴŃ. 1, 343. एवं मन्त्रं विदधुर्मिथः KATHÂS. 24, 84. निश्चित्य मन्त्रिभिर्मन्त्रनिश्चयम् R. 1, 8, 22. तैर्मन्त्रिभिर्मन्त्रहिते निविष्टैः 7, 18. अन्तःपुरचरैः सार्धं यो न मन्त्रं समाचरेत् Spr. 115.-20. यस्य मन्त्रं न जानन्ति समागम्य पृथग्जनाः M. 7, 148. °काले 149. मन्त्रे (so die ed. Bomb.) सुव्याहृतानि च MBH. 5, 5831. उत्तम, मध्यम, अधम R. 5, 77, 13. fgg. किं मन्त्रेण विना राज्यम् KATHÂS. 33, 181. °संवरण R. 1, 7, 9. R. GORR. 2, 72, 11. संवृत° RAGH. 1, 20. °गुप्ति KÂM. NÎTIS. 4, 31 (Spr. 3321). भिन्दन्त्यवमता मन्त्रं तैर्यग्योनास्तथैव च M. 7, 150. तथा मन्त्रो न भिद्यते Spr. 3871. भिन्न° R. 4, 55, 9. षट्कर्ण, चतुष्कर्ण, द्विकर्ण Spr. 3061. [Page05.0538] 3062. पञ्चविध PAŃḰAT. 92, 3. पञ्चाङ्ग KÂM. NÎTIS. 11, 56. द्वादशेति मनुः प्राह षोडशेति बृहस्पतिः । उशना विंशतिरिति मन्त्रिणां मन्त्रमण्डलम् ॥ 67. स च तान्मन्त्रमब्रवीत् MBH. 4, 88. स्त्री° geheimer Plan N.-, 19. Spr. 379. 4691. तस्मान्नाशय युक्त्यैनमिति मन्त्रे मयोदिते KATHÂS. 4, 120. तन्मदीयो मन्त्रः कर्तव्यः du musst meinen Rath befolgen PAŃḰAT. 81, 19. भद्रो ऽयं त्वया दृष्टो मन्त्रः du hast einen guten Plan ausgedacht 146, 17. HIT. 54, 14.
— Vgl. अ°, आकृष्टि°, ऋधङ्मन्त्र, कु°, चक्षुर्मन्त्र, दुर्मन्त्र, निर्मन्त्र, प्रतिमन्त्रम्, बीजमन्त्र, बुद्ध°, बृहन्मन्त्र, महा°, मोह°, विष°, सत्य°, मान्त्र, मान्त्रिक.